और मिलें ना कहने वालें
तू खुद से बातें करता जा |
अरण्य1 घने हों, राह अँधेरी
तू मन को रोशन करता जा |
रास्ते के काँटों को उखाड़कर
तू रात की रानी रखता जा |
कट के ना गिर गिरना हो तो
तू आबशारों2 सा गिरता जा |
तेरे मन में जो कुछ भी हो
तू वही जुबान पे रखता जा |
मीठी, खट्टी, तीखी, कसैली3
तू ज़िन्दगी को चखता जा |
Photo Courtesy: Flickr
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अरण्य : Forest
आबशार : Waterfall
कसैली : Bitter