ख़्वाबों ने ख़्वाबों में इक ख्वाब देखा है
ख्वाबों में इक ख्वाब लाजवाब देखा है
पूरे होने की उम्मीद जितनी भी हो सो हो
उन्होंने क्षणभंगुर ख़्वाबों का रुबाब देखा है
ख्वाब जो आँखों की सरहद पार ना कर सके
ख्वाब जो हकीकी से आँखें चार ना कर सके
खिलने का मौका मिल सका ना जिन्हें
ख्वाब जो अपने यार का दीदार ना कर सके
ख्वाब जो पूरी नींद से भी महरूम रह गए
ख्वाब जो निराशाओं के सितम सह गए
खुली हुई आखों को भी परेशान कर करके
ख्वाब जो पल भर में कई दास्ताँ कह गए
ख्वाब जो हवन की जलती हुई आग थे
ख्वाब जो जोग और बिहग के राग थे
धूपबत्ती के धूएँ की महक से फैले हुए
ख्वाब जो रंगीन बुलबुलों का झाग थे
ख्वाब जो अब भी कितनों के जीवन की डोर हैं
ख्वाब जो आज भी रातों में बिखरे चारों ओर हैं
जितने चले गए हों चाहे पर आगे और भी आयेंगे
ख्वाब जो पाकर अमरत्व मस्ती में सराबोर हैं
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