बंधन कुछ कहने को तो कच्चे होते हैं
टूटें तो हर ओर सिर्फ परखच्चे होते हैं
आँख मूँद तमाशा देखते रहे हैं सारे बड़े लोग
'ये हो क्या रहा है' पूछने को बस बच्चे होते हैं
ज़मीर के हमाम में मैले कुचले से लोग
भीड़ में आकर सब के सब अच्छे होते हैं
मेहनत, लगन, उम्मीद - जब तक सांस चले
जो ना मिले वो खट्टे अंगूरों के गुच्छे होते हैं
दुनिया गफलत में ही डालती रहेगी तुझे पन्त
तेरे सपने सच ना भी हों लेकिन सच्चे होते हैं
Photo Courtesy: Flickr
Bhaai, ye teri best Poem thi... The best line was --- Ye ho kyaaa reha hai, sirf Bachche poochhte hain --- Bang on... :-)-)-)
ReplyDeleteBeautiful as always...this one is simple yet quite moving...
ReplyDelete"तेरे सपने सच ना भी हों लेकिन सच्चे होते हैं "
ReplyDeletecool...1 f ur best
.mast hai kaviraj....
i wud say saadgi mai he taazgi hai.....:D
another nice one Pant....
ReplyDeleteaapki kavitaon me nit nayi taazgi aati ja rhi hai..
this one is a little grim but totally true :-)
as i always say "simple yet poignant"
keep up the good work