पहला भाग यहाँ / First Part Here
हर हर्फ़1 में जो पीड़2 हो
वक़्त गूढ़ गंभीर हो
फीके क्षणों की धार में
थोड़ी हँसी को घोल के
परिहास3 बरकरार रख
तू प्यास बरकरार रख
गुलशन जब बेनूर हो
और वसंत कुछ दूर हो
क्रूर खिज़ाओं4 में डटकर
अपनी आरजूओं के
अमलतास5 बरकरार रख
तू प्यास बरकरार रख
नौ भावों से है बना
ये ज़िन्दगी का चित्र है
इक भी कम नहीं पड़े
खुद में नवरसों का तू
एहसास बरकरार रख
तू प्यास बरकरार रख
कल ही कल की नींव था
कल ही कल का सार है
कभी भी ये भूल मत
भविष्य को तू साध पर
इतिहास बरकरार रख
तू प्यास बरकरार रख
पहले वार में कहाँ
कटे कभी पहाड़ हैं
हर नदी मगर मिली
अन्तः अपने नदीश6 से
बस, प्रयास बरकरार रख
तू प्यास बरकरार रख
Photo Courtesy: Flickr and Flickr
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हर्फ़ - Word
पीड़ - Pain
परिहास - Humour
खिज़ा - Autumn, Decay
अमलतास - A flowering tree (also known as golden shower tree)
नदीश - Sea
very optimistic and motivational....and very similar to limca-thodi pyas bhadhao :)
ReplyDeletediff: that tells u to dream big
and this to work relentlessly towards fulfilment of dreams :)
-Pallavi