शिक्षा पाने के बहाने रट ली कुछ दो चार पोथी
तथ्य सब कंठस्थ थे पर तत्व बोध हुआ नहीं
जब भी कोई बुद्ध बोधिसत्व की बात बताएगा
तब ज्ञान होने के स्वयं को क्या बहाने देंगे हम
शक्ति पाने के बहाने सदा तन ही बलिष्ठ किया
नसें ढीली पड़ती रहीं दिल हिम्मत खोता गया
जब किसी कठोर निर्णय पे ये कदम डगमगायेंगे
तब साहस होने के स्वयं को क्या बहाने देंगे हम
उम्र भर बस अपना ही सोचा और बाकी गैर रहे
फिर भी अपने ज़मीर के खुद अपने से ही बैर रहे
जब कभी अगर आईने में खुद से रु-ब-रु आयेंगे
तब नज़र मिलाने के स्वयं को क्या बहाने देंगे हम
कल की तैयारी के बहाने सारे आज बिता दिए
वर्ष, मास, हफ्ते की भीड़ में क्षण सारे गुमा दिए
जब कभी ये वक़्त-पात्र रीत कर खाली हो जायेगा
तब कौन से कल के स्वयं को कुछ बहाने देंगे हम
उत्तर ना पा पाए जिनके उन प्रश्नों को ही भुला दिया
व्यर्थ रहा जीवन जो बस बहानों में ही बिता दिया
जब जिंदगी पाने के कारण ज्ञात कभी हुए ही नहीं
तब मौत तुझे जीने के आखिर क्या बहाने देंगे हम
Photo Courtesy: Flickr
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