गहरी गहरी बात करे, और ऊंचा दाम कमाए
करनी पर जो आन पड़े, सोचे और सकुचाये
माटी सबकी इक है, चाक औ कुम्हार इक,
पानी भर का फर्क है, कुछ क्रूर कुछ नेक.
समय का धर्म बड़ा सरल है, चलता सीध-ए-नाक,
मुड़कर कभी ना देखता, हम कब समझेंगे बात.
जीवन सबका भिन्न है, हैं रहन सहन अनेक,
काल ना कोई भेद करे है, अंत है सबका एक.
जीवन का मोती ढूँढने सब सागर में गोत लगाये,
अपने ज्ञान की नदिया ही, आखिर प्यास बुझाये.
शशि1 के जैसा व्यापारी, हुआ ना अब तक हाय,
रवि की किरनें उधार ले, खुद ही नाम कमाए.
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शशि – Moon