तुझे उम्मीद भी थी और मुझे थी जिद्द भी,
न मैं यहाँ से चला न तुम वहां से आ सके
हिज्र1 और विसाल2 के बीच था सिर्फ
पर्दा ए रस्मो रिवाज़ जो हम ना उठा सके
तू आई तो होगी ज़रूर मेरी मजार पे
ऐसा भी क्या की ये वादा भी ना निभा सके
वक़्त, काम, दोस्त, वाल्देन3, समाज
ऐसी झूठी तो तू नहीं कि बहाने बना सके
रहने भी दे यार ये बातें सरहदें4 मिटाने की,
दे कोई नुस्खा5 जो दिलों से दरारें मिटा सके
Photo Courtesy: Flickr
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हिज्र: Separation/Absence
विसाल: Meeting
वाल्देन: Parents
सरहदें: Borders
नुस्खा: Remedy