वक़्त भुला देता है
ग़म हँसी वेदना उल्लास
बीतते वक़्त के साथ ही
सूक्ष्मतर होती जाती है
आदमी की याद में कैद
उसकी बीती हुई ज़िन्दगी
उम्मीद नाउम्मीद के बीच
फंसा हुआ उसका भविष्य
सिमटता जाता है
संग्रहालयों में बंद
इंसानियत का इतिहास
दुनिया को और छोटा
करता जाता है भविष्य
सिमटता जाता है
ज़िन्दगी का लैंड स्केप
कैनवास के बीच बने हुए
इक छोटे से बिंदु में
उसी बिंदु से शायद
जहाँ से फट पड़ा था ब्रह्माण्ड
बीतते वक़्त के साथ
लगता है सब सिमटता जाता है
उसी बिंदु में
जैसे घूमती धरती के मानिंद
वक़्त इक परिक्रमा पूरी कर आया हो
अपने किसी आराध्य प्रेम की
जो सूरज की भांति उर्जा देता है
चलते वक़्त को
और वक़्त बिना ये सोचे की
वो अंत के करीब है या
फिर से आदि पे पहुँच गया है
शुरू कर देता है अगली परिक्रमा
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