समर्पण


जिंदगी में ज़रूरी है
शायद
संघर्ष करना,
वक़्त के, हालात के,
बहाव से लड़ना,
विरुद्ध दिशा में तैरना
जिद्द करना
अड़े रहना

पर
ना जाने क्यों
यूँ भी लगता है
है उतना ही ज़रूरी
ये जानना की कब
बिना लड़े, प्रश्न या शक किये,
खुद को सौंप देना
उस बहाव को
इस विश्वास के साथ की
वो जनता है हमसे बेहतर
हमारी मंजिल

शायद यही समर्पण है

Image Courtesy: Flickr

वो वक़्त

हिंद युग्म में पूर्व प्रकाशित

वो वक़्त

किस्सों भरा प्रेम ग्रन्थ नहीं गढ़ा हमने
पर उस अल्प कथा का हर वरक था
मेरी हर कॉपी के आखरी पन्ने जैसा
सच्चा, मौलिक, - अपना

ना था पूरी उम्र का साथ अपने नसीब में
पर उस ज़रा से वक़्त का हर दिन था
गर्मियों की छुट्टियों के पहले दिन जैसा
उत्साहित, उतावला, - चंचल

कहने की बात नहीं कि कहा नहीं कुछ
पर अपनी खामोशिओं का सबब था
एकांत हरे उपवन में कोयल की कूक सा
सुरमयी, मीठा, - गुंजित

चाहत, यारी, इश्क, मोहब्बत पता नहीं
पर वो रिश्ता कुछ तो ख़ास था
छन के आती धूप और सूरजमुखी सा
अतुल्य, अनकहा, - अंजान

अंजाम से तो सदा वाकिफ थे ही हम
पर अदभुत वो विदाई का क्षण था
अंतिम परीक्षा की आखरी घंटी जैसा
आज़ाद, निश्चिन्त, - अंतिम